बिहार के चुनावी रण में जेठानी बनाम देवरानी: हिसुआ सीट पर कांटे की टक्कर, जानिए क्या है पूरा समीकरण?

Oct 25, 2025 - 12:38
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बिहार के चुनावी रण में जेठानी बनाम देवरानी: हिसुआ सीट पर कांटे की टक्कर, जानिए क्या है पूरा समीकरण?

Bihar Election 2025: नवादा जिले की हिसुआ सीट से छह बार विधायक रहे दिवंगत पूर्व मंत्री आदित्य सिंह के परिवार का राजनीतिक विवाद एक बार फिर खुलकर सामने आ गया है. आदित्य सिंह की बहू नीतू कुमारी सिंह जो वर्तमान में कांग्रेस प्रत्याशी और विधायक हैं, उनके खिलाफ एनडीए के समर्थन में उनकी देवरानी आभा देवी खुलकर चुनाव प्रचार कर रही हैं. यह देखकर ऐसा लग रहा है जैसे नीतू कुमारी का सामना इस बार किसी और से नहीं, बल्कि अपनी ही देवरानी आभा देवी से है.

परिवार से राजनीति तक पहुंचा विवाद
बता दें, 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतू कुमारी ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी. लेकिन उस दौरान घर का विवाद शांत हो गया था, 2020 के विधानसभा चुनाव में उनकी देवरानी आभा देवी, जो कांग्रेस की पूर्व जिला अध्यक्ष रह चुकी हैं, नीतू कुमारी के पक्ष में खुलकर प्रचार-प्रसार किया था. इस दौरान ऐसा लग रहा था जैसे मानों आदित्य सिंह परिवार का विवाद खत्म हो गया है. लेकिन अब बिधानसभा चुनाव नजदीक आते ही एक बार फिर विवाद खुलकर सबके सामने आ गया है.

जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही हैं, वैसे ही चुनावी समीकरण भी बदल रहे हैं. जेठानी से सामने देवरानी आभा देवी के खुलकर बीजेपी प्रत्याशी अनिल सिंह के समर्थन में प्रचार करने से कांग्रेस के भीतर भी हलचल मच गई है. अब यहां कि लड़ाई को जेठानी बनाम देवरानी के रूप में देखी जा रही है.

हिसुआ विधानसभा सीट की बात की जाए तो यहां से पूर्व मंत्री आदित्य सिंह ने 6 बार विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है. पहली बार आदित्य सिंह 1980 में निर्दलीय विधायक चुने गए थे. इसके बाद लगातार 5 बार विधायक रहे. पहली बार उन्हें 2005 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. जहां भाजपा के अनिल सिंह ने जीत दर्ज की थी.

कांग्रेस ने 9 बार जीत दर्ज की
बता दें, हिसुआ विधानसभा सीट से सबसे ज्यादा कांग्रेस प्रत्याशियों ने 9 बार जीत दर्ज की. इसके बाद भाजपा 2005 से लगातार 3 बार जीतकर हैट्रिक लगाई लेकिन पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अनिल सिंह को भी हार का सामना करना पड़ा. वहीं इस सीट से अभी तक जदयू और आरजेडी को एक बार भी जीत नहीं मिल पाई है. यह सीट कांग्रेस की परंपरागत जीतने वाली सीट मानी जाती है. इस बार भी कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में आदित्य सिंह की बहू चुनावी मैदान में हैं.

हिसुआ में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
जेठानी के सामने देवरानी के प्रचार करने के बाद माना जा रहा है कि हिसुआ सीट पर कांग्रेस, बीजेपी और बीएसपी के बीच इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है. वहीं देवरानी आभा देवी की वजह से कांग्रेस को नुकसान की आशंका जताई जा रही है.

हिसुआ विधानसभा सीट से किसे जीत मिलेगी यह तो वहां कि जनता ही तय करेगी. लेकिन मतदाताओं के बीच इस “देवरानी-जेठानी की जंग” की चर्चा जोरों पर है. दोनों पक्ष अपने समर्थकों को एकजुट करने में जुटे हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि अबकी बार यह चुनाव सिर्फ दलों का नहीं, बल्कि परिवार और प्रभाव की साख का भी मुकाबला होगा.

2020 में 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी
2020 में कांग्रेस पार्टी को 15 साल बाद जीत मिली थी. यहां कांग्रेस की नीतू कुमारी ने 17,091 वोट से जीत दर्ज की था. वहीं, भाजपा से हैट्रिक लगाने वाले तीन बार के विधायक अनिल सिंह दूसरे नंबर पर रहे. इस बार भी अनिल सिंह के सामने नीतू कुमारी सिंह चुनावी मैदान में हैं.

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