धान खरीदी के बीच भ्रष्टाचार और अव्यवस्था का मुद्दा गरमाया; विपक्ष ने लगाया ₹13,000 करोड़ के घोटाले का आरोप
छत्तीसगढ़ में इस समय धान खरीदी (खरीफ विपणन वर्ष 2025-26) अपने चरम पर है, लेकिन इसके साथ ही भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की खबरें भी सुर्खियों में हैं। वर्तमान में विपक्ष (कांग्रेस) और सत्ता पक्ष (बीजेपी) के बीच इसे लेकर तीखी बहस छिड़ी हुई है।आपकी जानकारी के लिए एक विस्तृत न्यूज़ रिपोर्ट नीचे दी गई है:छत्तीसगढ़: धान खरीदी के बीच भ्रष्टाचार और अव्यवस्था का मुद्दा गरमाया; विपक्ष ने लगाया ₹13,000 करोड़ के घोटाले का आरोपरायपुर | 20 दिसंबर, 2025छत्तीसगढ़ में 15 नवंबर से शुरू हुई धान खरीदी की प्रक्रिया इस समय विवादों के घेरे में है। जहाँ एक ओर सरकार रिकॉर्ड खरीदी और 'तुंहर टोकन' ऐप के माध्यम से पारदर्शिता का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार, फर्जी पंजीयन और टोकन वितरण में धांधली की खबरें प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आ रही हैं।प्रमुख आरोप और घटनाक्रम: • विधानसभा में भारी हंगामा: हाल ही में छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्षी दल कांग्रेस ने धान खरीदी में ₹13,000 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाते हुए सदन से वॉकआउट किया। विपक्ष का दावा है कि राज्य में उत्पादन से कहीं अधिक धान की खरीदी दिखाई जा रही है, जो बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। • फर्जी खरीदी का खुलासा: बिलासपुर और अन्य जिलों से 'फेक खरीदी' के मामले सामने आए हैं। हाल ही में एक कंप्यूटर ऑपरेटर को गिरफ्तार किया गया है, जिसने फर्जी तरीके से धान खरीदी दिखाकर शासन को लाखों रुपये का नुकसान पहुँचाया था। • टोकन व्यवस्था में अव्यवस्था: दुर्ग और धमतरी जैसे जिलों में किसान टोकन के लिए हफ्तों से भटक रहे हैं। किसानों का आरोप है कि रसूखदारों और बिचौलियों को प्राथमिकता दी जा रही है, जबकि आम किसान कतारों में खड़ा है। • अवैध धान का परिवहन: अब तक प्रशासन ने प्रदेश के विभिन्न जिलों से 1.93 लाख टन से अधिक अवैध धान और परिवहन में लगे वाहन जब्त किए हैं। पड़ोसी राज्यों से अवैध धान लाकर समितियों में खपाने की कोशिशें जारी हैं।पुराने मामलों में कार्रवाई:भ्रष्टाचार की जांच केवल वर्तमान तक सीमित नहीं है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) और राज्य की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने ₹175 करोड़ के राइस कस्टम मिलिंग घोटाले में चार्जशीट पेश की है, जिसमें मिलर्स और अधिकारियों की मिलीभगत के गंभीर आरोप हैं।सरकार का पक्ष:सरकार का कहना है कि वे हर किसान का एक-एक दाना खरीदने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अब तक लगभग 87 लाख टन धान की खरीदी की जा चुकी है और किसानों को सीधे उनके खातों में भुगतान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री का दावा है कि गड़बड़ी करने वालों पर 'जीरो टॉलरेंस' की नीति अपनाई जा रही है। विशेष नोट: इस समय प्रदेश के 2,739 केंद्रों पर धान खरीदी जारी है। यदि आप किसी विशेष जिले या केंद्र की भ्रष्टाचार की रिपोर्ट चाहते हैं, तो कृपया बताएं। क्या आप चाहते हैं कि मैं इस रिपोर्ट को किसी विशेष जिले (जैसे बिलासपुर, दुर्ग या रायपुर) के संदर्भ में और विस्तार से लिखूँ?
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