छत्तीसगढ़ की बेटियों ने दिखाई मिसाल! सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर बन रहीं लखपती दीदी, ड्रोन ऑपरेटर से लेकर स्वरोजगार तक में हो रही हैं सफल

रायपुर। छत्तीसगढ़ की 'लखपति दीदी' और 'ड्रोन दीदी' की कहानियाँ यह साबित करती हैं कि यदि सरकार सही दिशा और समर्थन दे, तो महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में कमाल कर सकती हैं। ये पहलें न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं। बल्कि, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा दे रही हैं। यह बदलाव केवल आँकड़ों तक सीमित नहीं है। बल्कि, यह महिलाओं के आत्मविश्वास, स्वाभिमान और संघर्ष की जीती-जागती तस्वीर है। छत्तीसगढ़ आज उन राज्यों में शुमार है जहाँ महिला सशक्तिकरण केवल नारा नहीं, बल्कि वास्तविकता बन चुका है।
लखपति दीदी: आत्मनिर्भरता की प्रेरणादायी यात्रा
छत्तीसगढ़ सरकार ने ग्रामीण आजीविका मिशन (CGSRLM) और स्व-सहायता समूहों (SHGs) को मजबूत बनाने के लिए कई योजनाएँ चलाईं। इन समूहों में जुड़ी महिलाओं को लघु उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण, डेयरी, बकरी पालन, मशरूम उत्पादन, सब्ज़ी व फल की खेती जैसे क्षेत्रों में वित्तीय सहायता और तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया।

1. डूमरिया की दीदियों ने तीन माह में किया 12 लाख का कारोबार
कोरिया जिले के बैकुंठपुर ब्लॉक के डूमरिया गाँव का महालक्ष्मी स्व-सहायता समूह इस योजना के अंतर्गत सफलता का प्रेरक उदाहरण बन गया है। समूह की अध्यक्ष मुन्नी बाई को प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम एवं बिहान योजना के तहत “एम प्लस” नाम से पैक्ड वाटर प्लांट स्थापित करने का अवसर मिला।
इस परियोजना की कुल लागत 35 लाख रुपये रही, जिसमें से 30 लाख रुपये की सहायता पीएमईजीपी से तथा 5 लाख रुपये का ऋण बिहान से प्राप्त हुआ। केवल तीन माह के भीतर ही इस प्लांट के माध्यम से 12 लाख रुपये से अधिक का कारोबार किया है, जिससे समूह को नई पहचान मिली है।

2. जशपुर की सविता रजक बकरी पालन को बढ़ा रहीं आगे
दुलदुला ब्लॉक के ग्राम छेड़डाड़ की रहने वाली सविता रजक ने बिहान योजना के तहत पीएम मुद्रा लोन का लाभ उठाते हुए उन्होंने बकरी पालन का व्यवसाय शुरू किया। अपने इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने बिहान योजना के तहत महिला ग्राम संगठन से जुड़कर अपना सफर शुरू किया। समूह के माध्यम से उन्हें बैंक लिंकेज, महिला ग्राम संगठन से 50 हज़ार रुपए तथा पीएम मुद्रा लोन के तहत 1 लाख रुपए का सहयोग मिला।
इस राशि से उन्होंने बकरी पालन की शुरुआत की, जिसने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। बकरी पालन से सविता को प्रतिमाह लगभग 10 हज़ार रुपए की आय हो रही है। इस आय से वह अपने बच्चों की पढ़ाई और परिवार की जरूरतें पूरी कर रही हैं। धीरे-धीरे अपने व्यवसाय को और आगे बढ़ाने तथा अधिक लाभ अर्जित करने की दिशा में भी वह निरंतर प्रयास कर रही हैं। सविता कहती हैं कि बिहान योजना और पीएम मुद्रा लोन से मिले सहयोग के बिना यह संभव नहीं था।

3. पेंड्रा की अनिता ने बिहान योजना से किया सपनो को साकार
बिलासपुर संभाग के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले पेंड्रा विकासखंड के ग्राम भाड़ी की मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली अनिता आज ‘लखपति दीदी’ के नाम से प्रसिद्ध हैं। उनकी यह सफलता ग्रामीण आजीविका मिशन ‘बिहान योजना‘ की देन है, जिसने उन्हें स्वावलंबन की राह दिखाई। अनिता ने बताया कि वह शुरू से ही कुछ कर दिखाने की चाह रखती थीं, लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उन्हें अवसर नहीं मिल पा रहा था।
जब उन्होंने संतोषी महिला स्व-सहायता समूह से जुड़ी और बिहान योजना के अंतर्गत लोन की सुविधा पाई, तो उन्होंने अपने सपनों को आकार देना शुरू किया। उन्होंने एक लाख रुपए लोन लेकर हॉलर मिल, दोना-पत्तल निर्माण मशीन और किराना दुकान की शुरुआत की। धीरे-धीरे मेहनत रंग लाई और आज वे इन तीनों गतिविधियों से अच्छी-खासी आमदनी अर्जित कर रही हैं। उनके जीवन की दिशा बदल गई और अब वे आत्मनिर्भर, सशक्त और प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं।
ड्रोन दीदी : आत्मनिर्भरता की प्रेरणादायी यात्रा
छत्तीसगढ़ की ‘ड्रोन दीदी’ की कहानी वास्तव में प्रेरणादायक है। ये महिलाएं न सिर्फ अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही हैं, बल्कि नई तकनीक अपनाकर खेती के क्षेत्र में क्रांति ला रही हैं। ड्रोन के जरिये अपने खेतों पर निगरानी रख रहीं है और अन्य काम भी कर रहीं है। ड्रोन ने खेत में बैठकर रखवाली करने वाले सिस्टम को खत्म कर दिया है।

1. मुंगेली और बालोद की ड्रोन दीदियों को राज्यपाल ने किया सम्मानित
मुंगेली जिले की गोदावरी साहू ने नमो ड्रोन दीदी परियोजना से जुड़कर कीटनाशक और खाद का छिड़काव करना शुरू किया और अब वे गाँव की प्रेरणा बन गई हैं। बालोद की चित्ररेखा साहू को जिले की पहली नमो ड्रोन दीदी बनने का गौरव मिला और उन्होंने किसानों को आधुनिक खेती की राह दिखाई। जांजगीर-चांपा की हैमलता मनहर को तो उनके कार्यों के लिए राज्यपाल ने सम्मानित किया।

2. रायपुर और दुर्ग की ड्रोन दीदियां कमा रहीं एक लाख रुपये
रायपुर की सुश्री पुष्पा यादव को सरकार और सहकारी संस्थाओं ने ड्रोन और वाहन उपलब्ध कराया, जिससे वे किसानों को सेवाएँ देकर आत्मनिर्भर बनीं। इसी तरह रायपुर जिले की चंद्रकली वर्मा ने ड्रोन सेवा से एक लाख रुपये तक की कमाई कर ली और दुर्ग की जागृति साहू ने भी बड़े स्तर पर किसानों के खेतों में छिड़काव करके अपनी पहचान बनाई।

3. बलौदाबाजार की निरूपा ड्रोन से कर रही दवा छिड़काव
बलौदाबाजार विकासखंड के ग्राम लाहोद निवासी निरूपा साहू। निरूपा अब गांव में 'ड्रोन वाली दीदी' के नाम से जानी जाती हैं। निरूपा बताती हैं कि, अप्रैल महीने में मुझे यह ड्रोन मिला है और तब से वह ड्रोन के माध्यम से किसानों के खेत में दवा छिड़काव करने का काम कर रही हैं। दवा छिड़कने का 300 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से चार्ज लेती हैं। अब तक गांव के लगभग 80 एकड़ खेत में ड्रोन से दवा छिड़काव कर चुकी हैं। जिससे मुझे 25 हजार रुपये की आमदनी हुई है।

महिलाओं का बदलता सामाजिक स्वरूप
इन पहलों ने महिलाओं को केवल आर्थिक रूप से सक्षम ही नहीं बनाया, बल्कि सामाजिक रूप से भी उनका दर्जा बदला है। वे अब परिवार की निर्णय प्रक्रिया में बराबरी से भाग ले रही हैं। पंचायत स्तर पर नेतृत्व की भूमिका निभा रही हैं। महिलाएँ अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिला रही हैं और समाज में नई सोच का संचार कर रही हैं। जहाँ पहले ग्रामीण महिलाएँ घर और खेत तक सीमित थीं, आज वही महिलाएँ गाँव की अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रही हैं।
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