नवरात्र में खल्लारी माता मंदिर: महाभारत काल से जुड़ा आस्था और इतिहास का अद्भुत संगम

Sep 26, 2025 - 08:02
 0  3
💬 WhatsApp पर शेयर करें
नवरात्र में खल्लारी माता मंदिर: महाभारत काल से जुड़ा आस्था और इतिहास का अद्भुत संगम

रायपुर. खल्लारी माता मंदिर छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले से लगभग 24 किमी दूर, घने जंगलों और ऊंची पहाड़ियों के बीच स्थित है। माता के दर्शन के लिए भक्तों को करीब 850 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है और भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मां खल्लारी के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। विशेष रूप से संतान सुख की इच्छा रखने वाले दंपति यहां दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर की ख्याति इतनी है कि छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश और विदेश से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।

किंवदंती है कि द्वापर युग में लाक्षागृह की घटना के बाद पांडव लंबे समय तक इसी पहाड़ी में रुके थे। माना जाता है कि यहीं भीम और हिडिंबा का विवाह हुआ था। आज भी यहां भीम के विशाल पदचिन्ह, भीम की रसोई और नाव जैसे स्थान मौजूद हैं। यही कारण है कि इस स्थल को भीमखोज भी कहा जाता है।

इतिहासकार बताते हैं कि वर्तमान मंदिर का निर्माण 1415 ईस्वी के आसपास हुआ था। कहा जाता है कि देवपाल नामक मोची ने राजा हरि ब्रह्मदेव के शासनकाल में माता का मंदिर बनवाया था। उस समय खल्लारी को प्राचीन काल में खल वाटिका कहा जाता था।

स्थानीय जनश्रुतियों के अनुसार, माता मूल रूप से डेंचा गांव में निवास करती थीं और बाजार में कन्या रूप में आती थीं। एक बंजारा उन पर मोहित होकर पीछा करने लगा, जिससे बचने के लिए माता पहाड़ी पर आईं और उसे श्राप देकर पत्थर बना दिया। इसके बाद माता यहीं विराजमान हो गईं और राजा ब्रह्मदेव को मंदिर निर्माण का आदेश दिया।

 

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0